Skip to main content

कश्मीर का इतिहास: कश्यप से कसाई तक!

हिन्दू नारी:

"क्या हम जानते हैं #बारामूला किसके नाम पर पड़ा है ....?? दरअसल यह "वराहमूल" शब्द से बना है जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यही वराहा अवतार लिया था और पृथ्वी की रक्षा की थी ...

माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर (कैस्पियन सागर) और कश्मीर का प्राचीन नाम था। तथा कैस्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप वंशजों का शासन था। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। इसी इलाके में ही दक्ष राजा का भी साम्राज्य भी था। जम्मू का उल्‍लेख महाभारत में भी मिलता है। हाल में अखनूर से प्राप्‍त हड़प्‍पा कालीन अवशेषों तथा मौर्य, कुषाण और गुप्‍त काल की कलाकृतियों से जम्मू के प्राचीन इतिहास का पता चलता है।


कहते हैं कि कश्यप ऋषि कश्मीर के पहले राजा थे। कश्मीर को उन्होंने अपने सपनों का राज्य बनाया। उनकी एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति हुई जिनमें प्रमुख 8 नाग थे- अनंत (शेष), वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। इन्हीं से नागवंश की स्थापना हुई। आज भी कश्मीर में इन नागों के नाम पर ही स्थानों के नाम हैं। कश्मीर का अनंतनाग नागवंशियों की राजधानी थी। पांडवो ने अपने वनवास के दौरान एक बड़ा समय कश्मीर में बिताया ,अर्जुन उत्तर की ओर विजय करते मानसरोवर झील तक गए थे .. भीम की हनुमान जी से भेंट कश्मीर में ही हुई थी और मान्यता है कि गन्धर्वराज चित्रसेन की राजधानी कश्मीर में ही थी ....

 

राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण की कथा के अनुसार कश्‍मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। कश्यप ऋषि ने यहां से पानी निकाल लिया और इसे मनोरम प्राकृतिक स्‍थल में बदल दिया। इस तरह कश्मीर की घाटी अस्तित्व में आई। हालांकि भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार खदियानयार, बारामूला में पहाड़ों के धंसने से झील का पानी बहकर निकल गया और इस तरह कश्मीर में रहने लायक स्थान बने। राजतरंगिणी 1184 ईसा पूर्व के राजा गोनंद से लेकर राजा विजय सिम्हा (1129 ईसवी) तक के कश्मीर के प्राचीन राजवंशों और राजाओं का प्रमाणिक दस्तावेज है ......


तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व शताब्‍दी में महान सम्राट अशोक ने कश्‍मीर में बौद्ध धर्म का प्रसार किया था। बाद में यहां कनिष्क का अधिकार रहा। कनिष्क के समय श्रीनगर के कुंडल वन विहार में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुमित्र की अध्यक्षता में सर्वस्तिवाद परम्परा की चौथी बौद्ध महासंगीति का आयोजन किया था। 6ठी शताब्‍दी के आरंभ में कश्‍मीर पर हूणों का अधिकार हो गया। सन् 530 में कश्मीर घाटी एक स्वतंत्र राज्य रहा। इसके बाद इस पर उज्जैन साम्राज्य के राजाओं का अधिकार रहा। एक समय ऐसा था जब उज्जैन अखंड भारत की राजधानी हुआ करता था। 

 

विक्रमादित्‍य राजवंश के पतन के बाद कश्‍मीर पर स्‍थानीय शासक राज करने लगे। वहां हिन्दू और बौद्ध संस्‍कृतियों का मिश्रित रूप विकसित हुआ। कश्मीर में छठी शताब्दी में अपने तरह का शैव दर्शन विकसित हुआ। वसुगुप्त की सूक्तियों का संकलन 'स्पन्दकारिका' इसका पहला प्रामाणिक ग्रन्थ माना जाता है। शैव राजाओं में सबसे पहला और प्रमुख नाम मिहिरकुल का है जो हूण वंश का था।

 

हूण वंश के बाद गोनंद द्वितीय और कार्कोटा नाग वंश का शासन हुआ जिसके राजा ललितादित्य मुक्तपीड को कश्मीर के सबसे महान राजाओं में शामिल किया जाता है। कश्‍मीर के हिन्‍दू राजाओं में ललितादित्‍य (सन् 697 से सन् 738) सबसे प्रसिद्ध राजा हुए जिनका राज्‍य पूर्व में बंगाल तक, दक्षिण में कोंकण, उत्तर-पश्चिम में तुर्किस्‍तान और उ‍त्तर-पूर्व में तिब्बत तक फैला था। 

 

इस क्रम में अगला नाम 855 ईस्वी में सत्ता में आए उत्पल वंश के अवन्तिवर्मन का लिया जाता है जिनका शासन काल कश्मीर के सुख और समृद्धि का काल था। उसके 28 साल के शासन काल में मंदिरों आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ। कश्मीर में साहित्यकारों और संस्कृत आचार्यों की भी लंबी परंपरा रही है। प्रसिद्ध वैयाकरणिक रम्मत, मुक्तकण, शिवस्वामिन और कवि आनंदवर्धन तथा रत्नाकर अवन्तिवर्मन की राजसभा के सदस्य थे। सातवीं सदी में भीम भट्ट, दामोदर गुप्त, आठवीं सदी में क्षीर स्वामी, रत्नाकर, वल्लभ देव, नौवीं सदी में मम्मट, क्षेमेन्द्र, सोमदेव से लेकर दसवीं सदी के मिल्हण, जयद्रथ और ग्यारहवीं सदी के कल्हण जैसे संस्कृत के विद्वान कवियों-भाष्यकारों की एक लम्बी परम्परा रही। अवन्तिवर्मन की मृत्यु के बाद हिन्दू राजाओं के पतन का काल शुरू हो गया था।

 

तत्कालीन राजा सहदेव के समय मंगोल आक्रमणकारी दुलचा ने आक्रमण किया। इस अवसर का फायदा उठा कर तिब्बत से आया एक बौद्ध रिंचन ने इस्लाम कबूल कर अपने मित्र तथा सहदेव के सेनापति रामचंद्र की बेटी कोटारानी के सहयोग से कश्मीर की गद्दी पर अधिकार कर लिया। इस तरह वह कश्मीर (जम्मू या लद्दाख नहीं) का पहला मुस्लिम शासक बना। कालांतर में शाहमीर ने कश्मीर की गद्दी पर कब्जा कर लिया और इस तरह उसके वंशजों ने लंबे काल तक


कश्मीर पर राज किया। आरम्भ में ये सुल्तान सहिष्णु रहे लेकिन हमादान से आए शाह हमादान के समय में शुरू हुआ इस्लामीकरण सुल्तान सिकन्दर के समय अपने चरम पर पहुंच गया। इस काल में हिन्दू लोगों को इस्लाम कबूल करना पड़ा और इस तरह धीरे-धीरे कश्मीर के अधिकतर लोग मुसलमान बन गए जिसमें जम्मू के भी कुछ हिस्से थे। उल्लेखनीय है कि जम्मू का एक हिस्सा पाकिस्तान के अधिन है, जिसमें कश्मीर का हिस्सा अलग है। 

 

शाह हमादान के बेटे मीर हमदानी के नेतृत्व में मंदिरों को तोड़ने और तलवार के दम पर इस्लामीकरण का दौर सिकन्दर के बेटे अलीशाह तक चला लेकिन उसके बाद 1420-70 में ज़ैनुल आब्दीन (बड शाह) गद्दी पर बैठा। 

16 अक्टूबर 1586 को मुगल सिपहसालार कासिम खान मीर ने चक शासक याकूब खान को हराकर कश्मीर पर मुगलिया सल्तनत को स्थापित किया। इसके बाद अगले 361 सालों तक घाटी पर गैर कश्मीरियों का शासन रहा जिसमें मुगल, अफगान, सिख, डोगरे आदि रहे। मुगल शासक औरंगजेब और उसके बाद के शासकों ने हिन्दुओं के साथ-साथ यहां शिया मुसलमानों पर दमनकारी नीति अपनाई जिसके चलते हजारों लोग मारे गए।

 तो ऐसे कश्मीर के लिए अगर एक और महाभारत भी करना पड़े तो कोई दिक्कत नहीं ... लेकिन कश्मीर की इंच इंच जमीन हमारी है ...


✍ Shekhar jain

Courtesy: Shri Saket Shrivastava.

Popular posts from this blog

বাংলার বারুজীবী বৃত্তান্ত

একসময় পান সুপারি দিয়ে নেমন্তন্ন করার প্রথা ছিল গ্রাম বাংলায়। তারপর ভোজের শেষে মুখুশুদ্ধি হিসেবেও পানের ব্যবহার ছিল তখন ।পান রাঙ্গা ঠোঁট ছিল আজকের সুন্দরীদের লিপস্টিক এর বিকল্প। আর এই পানের চাষ ও বিক্রির সঙ্গে যারা যুক্ত ছিলেন তাদের বলা হতো বারুজীবি বা বারুই। পশ্চিমবঙ্গে হাওড়া ,হুগলি ও বীরভূম জেলার সদর শহর সিউড়িতে রয়েছে বারুইপাড়া ।এছাড়া দুই মেদনীপুর সহ অন্যান্য জেলাতেও কমবেশি এই সম্প্রদায়ের লোক বাস করে। একেবারে নিরীহ শান্ত সৌম্য ভীতু প্রকৃতির সম্প্রদায় ।তবে শৈল্পিক চিন্তাধারা বিশেষভাবে ফুটে ওঠে এই সম্প্রদায়ের। উৎপত্তি - বারুজিবী জাতির উৎপত্তি সম্পর্কে একটি প্রচলিত লোককথা রয়েছে ।সেখানে বলা হয়েছে এক শিব ভক্ত ব্রাহ্মণ ছিলেন ।তিনি প্রতিদিন শিব পূজা করতেন। কিন্তু, তার আরো অনেক কাজ ছিল ।যেমন যেমন পান চাষ, কাপড়বোনা প্রভৃতি।ব্রাহ্মণের বেশিরভাগ সময় চলে যেত ওই কাজে।তারপর কোন এক সময় পেলে শিবের মাথায় দুই একটি ফুল ছুঁড়ে কর্তব্য সারতেন। এসব দেখে শিব ঠাকুর তাকে আন্তরিকভাবে শুধুমাত্র তার পূজা করতে বললেন। এবং আরো জানিয়ে দিলেন তা করলে তার কোন অভাব থাকবে না। কিন্তু, ব্রাহ্মণ সে ...

Déjà Rêve: স্বপ্ন যখন বাস্তব

 Déjà Rêve: স্বপ্ন যখন বাস্তব ↓ স্বপ্ন আমাদের মস্তিষ্কের সৃষ্ট কিছু চিত্র বা গল্প যা আমরা ঘুমের ভিতর মনের অবচেতনে দেখি। ঘুমের যেকোন পর্যায়ে আমরা স্বপ্ন দেখতে পারি। তবে সাধারণত ঘুমের REM (rapid eye movement) পর্যায়ে আমরা বেশি স্বপ্ন দেখি কারণ তখন আমাদের মস্তিষ্ক সবচেয়ে বেশি সচল থাকে। "দেজা রেভে" হল আপনি যা আগে কখনো স্বপ্ন দেখেছেন তা পুনরায় বাস্তবে দেখা। এর মানে, আপনি বর্তমানে যা চোখের সামনে দেখছেন তা একটি স্মৃতি এবং আপনি আগে যে স্বপ্ন দেখেছিলেন সেটার অনুরূপ কিছু বাস্তুবে দেখাকে দেজা রেভে বলে। অনেকেই মনে করেন যে দেজা রেভে হলো দেজা ভ্যূ এর বিপরীত। কিন্তু প্রকৃতপক্ষে দেজা রেভে হলো লুসিড ড্রিমিং এর বিপরীত এবং দেজা ভ্যূ এর অনুরূপ। ২০১৮ সালে ব্রেইন স্টিমুলেশন গবেষকরা বলেন যে দেজা রেভে সাধারণত আশেপাশে ঘটে যাওয়া ঘটনা না বুঝার জন্য হতে পারে। ফরাসি দলটি দেজা রেভে এর উপর স্পষ্ট ধারণা পাওয়ার জন্য আরো পরীক্ষানিরীক্ষা করতে থাকেন। এই পরীক্ষার মাধ্যমে তারা দেখতে পান যে ১৯৫৮ থেকে ২০১৫ সাল পর্যন্ত দেজা রেভে হওয়া সবাই আংশিকভাবে মৃগীরোগে আক্রান্ত ছিলো। সাধারণত মৃগী রোগীদের চিকিৎসায় ইলেকট্রিক ব্র...

হিন্দু বিরোধী, বৈষম্যমূলক OBC আইন

২০১১ সালে বিধানসভা নির্বাচনে মমতা ব্যানার্জির নেতৃত্বে তৃণমূল সরকার ক্ষমতায় আসে। আর তারপরই রাজ্যের তথাকথিত পিছিয়ে পড়া (?) মুসলিম সম্প্রদায়ের জন্য কল্পতরু হয়ে ওঠেন মমতা ব্যানার্জি। মুসলিমদের জন্য নানা রকম সুযোগ সুবিধা দিতে থাকেন। আর সেই সময় চুপিসারে ২০১২ সালে পাস হয়ে যায় একটি আইন- “ The West Bengal Backward Classes (Other than Scheduled Castes and Scheduled Tribes) (Reservation of Vacancies in Services and Posts) Act, 2012,”  🔴কি ছিল সেই আইনে? আইন অনুযায়ী OBC ( Other Backward Classes ) কে দুই ভাগে ভাগ করা হয়; OBC-A এবং OBC-B । আর এইভাবে রাজ্যের মুসলিম সম্প্রদায়ের মানুষদের ঢালাও সরকারি চাকরিতে সংরক্ষণ দিয়ে দেওয়া হয়। আর সেই সংরক্ষণ দেওয়া হয় পিছিয়ে পড়া হিন্দুদের কোটার ভাগ কেটে। এখানে উল্লেখযোগ্য, OBC-তে হিন্দুরা যে সংরক্ষণের সুবিধা লাভ করতেন, তা পিছিয়ে পড়ার মাপকাঠিতে। তাছাড়া, সংরক্ষণ তালিকায় তাদের জাতির সঙ্গে হিন্দু কথা লেখা থাকতো না। কিন্তু OBC-A এবং OBC-B ক্যাটাগরিতে  যাদের পিছিয়ে পড়া বলে উল্লেখ করা হয়েছে, সেখানে তাদের জাতির পাশে পরিষ্কার ‛মুসলিম’ কথা...